स्व.भाटी स्मृति व्याख्यानमाला में डा.वैदिक ने कहा
रतलाम। अन्तर्राष्ट्रिय मामलों के जानकार डा.वेदप्रताप वैदिक ने यहां कहा कि ओसामा बिन लादेन की मौत ने पाकिस्तान के दोगलेपन को उजागर कर दिया है। वर्तमान स्थितियों में भारत को किसी सैनिक अभियान की बजाय कूटनीतिक प्रयासों का उपयोग करना चाहिए। अमेरिका से पाकिस्तान पर दबाव बनवा कर वांछित आतंकियों को भारत लाने के प्रयास करना चाहिए। पाकिस्तान पूरी तरह अमेरिका की दया पर जीवित है वह अमेरिका के दबाव को नकार नहीं सकता लेकिन यदि भारत ने कोई सैनिक अभियान करने के प्रयास किए तो स्थितियां नाजुक हो सकती है और कोई भी सिरफिरा पाकिस्तानी सेना अधिकारी परमाणु युध्द छेड सकता है।
डै.वैदिक सोमवार रात को स्थानीय पटेल सभागृह में आयोजित स्व.भंवरलाल भाटी स्मृति व्याख्यानमाला में बोल रहे थे। शहर के आमंत्रित बुध्दिजीवियों को सम्बोधित करते हुए उन्होने कहा कि लादेन की मौत के बाद इस विषय पर सार्वजनिक बहस का पूरे देश में संभवत: यह पहला कार्यक्रम है। लादेन के बाद उपजी नवीन अन्तर्राष्ट्रिय परिस्थितियों का विश्लेषण करते हुए श्री वैदिक ने कहा कि लादेन के अन्त ने कई नई परिस्थितियों का जन्म दिया है।
अपने विद्वत्तापूर्ण व्याख्यान के प्रारंभ में लादेन की पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए डा. वैदिक ने कहा कि कुछ लोग समझते है कि ओसामा बिन लादेन जैसा दुर्दान्त और सद्साहसी दुनिया में दूसरा कोई नहीं है। उसकी तुलना हजार वर्ष पहले के अरबों से की जाती है। ओसामा का वास्तविक नाम उसामा है,जो अरबी भाषा का शब्द है। यमन के ईंटें ढोने वाले मजदूर के घर में जन्मे ओसामा ने अफगानिस्तान और पख्तूनिस्तान को अपनी कर्मस्थली बनाया जहां पख्तूनों की बहुलता है। यह जाति मजहब तो इस्लाम को मानती है लेकिन समस्त आर्य परंपरा का पालन करती है। इस क्षेत्र के पख्तूनों को जेहाद के नाम पर भडकाकर अपने नापाक ईरादों की पूर्ति करने वाले ओसामा का जेहाद से कोई लेना देना नहीं था। उसने तो सिर्फ जेहाद शब्द के उपयोग के लिए इस्लाम का दुरुपयोग किया।
पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति को रेखांकित करते हुए डा.वैदिक ने कहा कि जिस देश में दाउद,हाफिज सईद,मस्तगुल जैसे आतंकवादी खुले घुम रहे हो,जो देश अपनी जमीन चीन को दे रहा हो। वह देश यदि सम्प्रभुता की बात करे तो यह केवल ढोंग है। लेकिन ओसामा की मौत ने पाकिस्तान के इस ढोंग को उजागर कर दिया है। पाकिस्तान में सम्प्रभु राष्ट्र का एक भी लक्षण मौजूद नहीं है।
भारतीय सेना की प्रशंसा और नेताओं की कायरता की निन्दा करते हुए डा.वैदिक ने कहा कि भारतीय सेना तो अमेरिकी सेना से भी बेहतर कार्रवाई करने में सक्षम है लेकिन नेताओं में निर्णय लेने की क्षमता और साहस नहीं है। डा.वैदिक ने लादेन के अंत के बाद बन रही परिस्थितियों के विश्लेषण के आधार पर आतंकवाद की समस्या का समाधान सुझाते हुए कहा कि अमेरिका के खर्च पर भारत अफगानिस्तान में 5 लाख सैनिकों की फौज तैयार करें एवं उसे प्रशिक्षित करे। इस प्रकार निर्मित फौज अफगान पाक क्षेत्र से आतंकवादियों को समाप्त कर देगी। जिससे अमेरिका और भारत दोनो का ही इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने का लक्ष्य पूरा हो जाएगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए चिंतक चैतन्य कुमार काश्यप ने कहा कि देश के प्रति निष्ठावान व्यक्तित्व की स्मृति में आयोजित इस व्याख्यानमाला का शुभारंभ डा.वेदप्रताप वैदिक जैसे विद्वान के व्याख्यान से हो रहा है। इससे बेहतर श्रध्दांजलि स्व.भंवरलाल भाटी को नहीं हो सकती। श्री काश्यप ने विश्वास के संकट को देश के लिए सबसे बडी समस्या निरुपित करते हुए कहा कि नेतृत्व ही विश्वास विहीन हो चुका है,निष्ठाएं व्यक्तिगत होती जा रही है,राष्ट्र के प्रति घटती जा रही है। ऐसे में स्व.भाटी जी और भी प्रासंगिक हो जाते है,जिन्होने राष्ट्रनिष्ठ युवाओं को तैयार किया।
स्थानीय सरदार पटेल सभागृह में आयोजित स्व.भंवरलाल भाटी स्मृति व्याख्यानमाला का शुभारंभ अतिथियों ने भारतमाता और मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीपप्रज्वलन कर किया। अतिथि परिचय एवं विषय प्रवर्तन डा.प्रदीपसिंह राव ने किया। डा.मुरलीधर चांदनीवाला ने स्व.भाटी जी के जीवन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर डा.प्रदीपसिंह राव द्वारा लिखित पुस्तक विचार विथीका का विमोचन अतिथियों ने किया। अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति अध्यक्ष डा.डीएन पचौरी,सहित तुषार कोठारी,डा.मुरलीधर चांदनीवाला,कृष्ण गोपाल अग्रवाल,मयूर व्यास,मांगीलाल यादव,डा.प्रदीपसिंह राव ने किया। डा.डीएन पचौरी ने डा.वैदिक को स्मृतिचिन्ह प्रदान किया। अंत में आभार समिति सचिव तुषार कोठारी ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का सफल संचालन डा.रत्नदीप निगम ने किया।