Friday, May 6, 2011

स्व.भाटी स्मृति व्याख्यानमाला 9 मई को,डा. वैदिक सम्बोधित करेंगे

रतलाम, ैल। स्व.भंवरलाल भाटी की स्मृति को चिरस्थाई रखने के लिए गठित स्व.भाटी स्मृति व्याख्यानमाला आयोजन समिति द्वारा आगामी 9 मई को देश के ख्यातनाम विद्वान डा.वेदप्रताप वैदिक को व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया गया है। डा.वैदिक लादेन के अंत के बाद बन रही नई अन्तर्राष्ट्रिय परिस्थितियों पर अपना व्याख्यान देंगे।

स्व.भाटी स्मृति व्याख्यानमाला आयोजन समिति की महत्वपूर्ण बैठक के बाद संयोजक डा.रत्नदीप निगम ने उक्त जानकारी दी। श्री निगम ने बताया कि व्याख्यानमाला के प्रथम आयोजन में देश के लब्धप्रतिष्ठित विद्वान और अन्तर्राष्ट्रिय राजनीति के विशेषज्ञ डा.वेदप्रताप वैदिक को आमंत्रित किया गया है। दुनिया के सर्वाधिक दुर्दान्त आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के अंत के बाद बन रही नई अन्तर्राष्ट्रिय परिस्थितियों को लेकर आज हर ओर चर्चाएं हो रही है। देश और विश्व का पूरा बुध्दिजीवी वर्ग इस मामले पर अपने अपने स्तर पर आकलन कर रहा है कि लादेन के बाद आतंकवाद पर क्या असर पडेगा। क्या आतंकवाद कमजोर पडेगा या इसमें तेजी आएगी। पाकिस्तान का दोगलापन जाहिर होने के बाद भी क्या अमेरिका पाकिस्तान को पहले की तरह मदद देता रहेगा या इस घटना के बाद पाकिस्तान और चीन का नया गठजोड सामने आएगा। विश्व की इन नई परिस्थितियों का भारत पर क्या असर होगा। ओसामा के अन्त के बाद क्या भारत पाकिस्तान में रह रहे अपने अपराधियों को वापस लाने के लिए कोई ठोस कार्ययोजना बनाएगा। इस तरह के असंख्य महत्वपूर्ण प्रश्नों के समाधान के लिए यह व्याख्यानमाला एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। डा.निगम ने बताया कि डा.वैदिक अपने राजनैतिक और कूटनीतिक विश्लेषण के लिए पूरे विश्व भर में जाने जाते है। देश के लगभग सभी प्रमुख समाचार पत्रों में वे नियमित रुप से अन्तर्राष्ट्रिय मुद्दों पर लेखन करते रहे है। उत्कृष्ट कोटि के लेखक होने के साथ ही वे अत्यन्त श्रेष्ठ वक्ता भी है।

डा.निगम ने बताया कि बैठक में समिति अध्यक्ष डा.डीएन पचौरी,उपाध्यश्र डा.मुरलीधर चांदनीवाला,सम्पर्क प्रमुख डा.प्रदीपसिंह राव,चित्तरंजन लुणावत व सचिव तुषार कोठारी उपस्थित थे। बैठक में व्याख्यानमाला के सफल शुभारंभ की तैयारियों पर विस्तार से चर्चा की गई। डा.निगम ने बताया कि उक्त आयोजन 9 मई सोमवार को शाम सात बजे न्यूरोड स्थित गुजराती विद्यालय के सरदार पटेल सभागृह में संपन्न होगा। आयोजन समिति ने नगर की प्रबुध्द जनता से आग्रह किया है कि वे अधिकाधिक संख्या में इस आयोजन में भाग लेकर इन ज्वलंत प्रश्नों का समाधान खोजने में सहायक बनें।

Monday, May 2, 2011

अकेला

कौन कहता है कि

मै आया अकेला

कि मै हूं अकेला

कि जाउंगा अकेला।

नहीं

मै नहीं आया अकेला

दिया था जन्म जिसने

उसी को बान्ध लाया

साथ अपने।

मै चलता हूं

धरा गगन साथ चलते है

चांद तारे और सूरज

साथ चलते है

पवन मुझको

झूले में झुलाने लगता

और सन्नाटा

फुसफुसाकर कान में कहता

चुप हूं तो क्या

मत करो चिन्ता

चल रहा हूं

तुम्हारे साथ हूं मै।

मेरे गीत की लयताल में

होता मुखर उपवन

कोकिला और मोर

नाचने लगते

मुझको घेर चारो ओर।

मै नहीं एकाकी

मे एक

अनेक में समाया हूं

अनेक मुझमें समाये हैं।

और

अभी तक भूला नहीं हूं

याद है जिन्दगी के वे क्षण,

जब मेरे मीत,मेरी प्रीति ने

ली थी अंतिम विदा

झूल बाहों में मेरी

मुझसे कहा था।

यह मत समझना

जा रही हूं अकेले

ले जा रही हूं

स्मृतियां जन्मभर की

साथ अपने।

और छोडे जा रही हूं

नन्हे मुन्ने,

ये मेरे अपने

जीवन के सपने

ताकि तुम रह जाओ न अकेले

इन्हे सहेज कर रखना।

उसी क्षण से मैं

जी रहा हूं

साथ इनके।

इनमें से कोई मस्तिष्क है मेरा

तो कोई चाल कदमों की

तो कोई मेरे गीत की सरगम,

तो कोई शक्ति अन्तर की।

कोई जिजीविषा मेरी,

तो कोई वाक शक्ति मेरी

तो कोई मृदु मुस्कान मेरी

तो कोई दूरदृष्टि मेरी

तो कोई मेरा गहन चिन्तन

तो कोई अन्तरव्यथा मेरी

कोई कर्म कलश अनुपम

तो कोई साहस

मृत्यु से भी जूझने का

ये सब मेरे अपने

जीवन के सपने

मेरे मानस के राजहंस।

जब कुलबुलाने लगते

नीरभ्र नीलाकाश में मण्डराते

अपने स्निग्ध

वायवी डैनों की छाया में

मुझे सुलाते

मै स्वप्ों के संसार में खो जाता।

इन्ही के सहारे

मृत्यु से भी दो दो हाथ कर आया

सुरसा के मुख में जाकर

लौट आया।

कौन कहता है मैं अकेला हूं

नहीं

मैं नहीं अकेला

न ही आया अकेला

न हूं अकेला

दिया था जन्म जिसने

उसी को

बान्ध लाया साथ अपने