Saturday, April 16, 2011

ऊ षा

कालातीत अदृश्य हाथों ने

सार दिया तिलक लाल,

आलोकित हुआ भाल,

या कि अंकुर फूट पडा,

मृत्यु पर जीवन की विजय का,

या कि फिर प्राची के कपोल पर,

मल दी हो रोली किसी मनचले ने

या फिर फागुन की उडती गुलाल।

प्रकृति का मदिर मंद हास,

या कि यौवन के आगमन की,

सुनकर पदचाप

कोई मुग्धा लजाई हो।

कि सुषमा हुई साकार

या सविता के स्वागत हित

पूजा का सजा थाल।

या कि त्याग अनुरागमयी

ज्ञान भक्ति कर्म की

अरुण पताका

फहराई अदृश्य ने।

हो माथे पर बिंदिया सौभाग्य की

या कि सिन्दूर भरी

मांग सुहागिन की।

किसी देवालय का शिखर हो

या सौभाग्य सूर्य मनुज का

या सृजन की प्रथम किरण

या प्रकृति की खुली कोंख

देती संदेश बाल रवि के जन्म का।

नीरभ्र नीलाकाश कर ज्योतित

छेडती भैरवी के मधुर मादक स्वर

या कि निर्धूम धधकती वही ज्वाल

या कि माणिक भरी मंजूषा विशाल

सृष्टि के भाग्योदय का आलेख

या कि बिखरा पिंग पराग

प्राची के आनन पर अवगुण्ठन सी

महाकाश की बाहों में आबध्द

ओ महाभाग

अम्बर का उदर चीर

उतर कर आई हो

कौन हो क्या हो

किसके हृदय की अभिलाषा हो

किस तत्व की परिभाषा हो

ओ रहस्यमयी जिज्ञासा।

तुम जैसे चैतना की ज्योति का

सनातन जागरण

हुआ आत्म प्रकाश

और तब जैसे

चटकी गुलाब की कली

खिली और वह बोली

मै ऊषा हूं

हां ऊषा हूं ऊषा

मातृवंदना

मां तेरी पावन पूजा में

हम केवल इतना कर पाए।

युग युग से चरणों पर तेरे,

चढते आए पुष्प घनेरे,

हमने उनसे सीखा केवल,

अपना पुष्प चढा पाए॥

चित्तौड दुर्ग के वे कण कण,

जय बोल रहे तेरी क्षण क्षण,

हम भी अपने टूटे स्वर को,

उनके साथ मिला पाए॥

कुछ कली चढी कुछ पुष्प चढे,

कुछ समय से पहले फिसल पडे,

हमको दो वरदान यही मां,

विकसित होकर चढ जाए॥

जगती के बंधन आकर्षण,

यदि स्वयं काल से भी हो रण,

मां तेरे पूजा पथ पर हम,

लडते भिडते चढते जाए॥

यह अंतिम आकांक्षा सब की

जब पावन पूजा हो तेरी,

तब तनिक न पड असमंजस में

यह जीवन पुष्प चढा जाए॥

काव्यपाठ १७.०७.२०१०

अभिनन्दन (आदरणीय अज़हर हाशमी जी और डा.के सी पाठक सा. ने भाटी जी का अभिनन्दन किया था )

स्व.श्री भाटी की स्मृति में व्याख्यानमाला का आयोजन


रतलाम,15 अप्रैल। वरिष्ठ शिक्षाविद और समाजसेवी स्व.श्री भंवरलाल भाटी की स्मृति में प्रतिवर्ष व्याख्यानमाला का आयोजन किया जाएगा। यह निर्णय स्व.श्री भाटी के जन्मदिवस पर संपन्न गणमान्य नागरिकों की बैठक में लिया गया। व्याख्यानमाला मई माह में आयोजित की जाएगी।

15 अप्रैल को स्व.श्री भंवरलाल जी भाटी के जन्मदिवस पर स्थानीय प्रेसक्लब भवन पर गणमान्य नागरिकों की बैठक का आयोजन किया गया। प्रारंभ में उपस्थित व्यक्तियों ने स्व.श्री भाटी के चित्र पर श्रध्दासुमन अर्पित किए। बैठक में स्व.श्री भाटी की स्मृतियों को स्थाई रखने के उद्देश्य से व्याख्यानमाला आयोजित करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए आयोजन समिति का गठन भी किया गया। समिति संयोजक डा.रत्नदीप निगम ने बताया कि व्याख्यानमाला आयोजन समिति में डा.डी.एन पचौरी को अध्यक्ष मनोनीत किया गया है। चिंतक चैतन्य कुमार काश्यप तथा समाजसेवी टेम्पटन अंकलेसरिया इस समिति के संरक्षक रहेेंगे। जबकि शिक्षाविद डा.मुरलीधर चांदनीवाला उपाध्यक्ष,कृष्णगोपाल अग्रवाल कोषाध्यक्ष,पत्रकार तुषार कोठारी सचिव,मयूर व्यास सहसचिव,डा.प्रदीपसिंह राव सम्पर्क प्रमुख तथा मांगीलाल यादव व चित्तरंजन लुणावत को समिति सदस्य के रुप में मनोनीत किया गया।


स्व.भाटी की स्मृति में न्यास का गठन


कालेज का नामकरण स्व.भाटी के नाम पर करने का सुझाव

रतलाम,३१ मार्च । वरिष्ठ शिक्षाविद,साहित्यकार और समाजसेवी स्व.भंवरलाल भाटी का जीवन लक्ष्य को समर्पित जीवन था। उनकी स्मृतियों को चिरस्थाई बनाए रखने के लिए शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय का नामकरण स्व.श्री भाटी के नाम पर रखे जाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। यह बात स्थानीय बडा रामद्वारा में आयोजित श्रध्दांजलि सभा में वक्ताओं ने कही। इस मौके पर स्व.श्री भाटी की स्मृति में एक न्यास बनाने की घोषणा भी की गई।

समाजसेवी और शिक्षाविद स्व.श्री भाटी के निधन के पश्चात सत्रहवीं के अवसर पर आयोजित श्रध्दांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए महन्त श्री गोपालदास जी महाराज ने कहा कि स्व.श्री भाटी का पूरा जीवन सेवा को समर्पित रहा। उन्होने कई क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दी और जीवन के अंतिम क्षण तक वे सक्रिय रहे। वरिष्ठ कांग्रेस नेता बंसीलाल गांधी ने कहा कि स्व.श्री भाटी ने जो भी कार्य किया पूरे समर्पण के साथ किया। एक शिक्षक के रुप में उन्होने अपने छात्रों को पूरे समर्पित भाव से ज्ञान दिया वहीं समाजसेवी के रुप में वे जिस भी संस्था में रहे उन्होने समर्पित होकर कार्य किया। उनका जीवन अनुकरणीय जीवन था। श्री गांधी ने कहा कि स्व.श्री भाटी की स्मृति में न्यास गठित करके हम जो भी सेवाकार्य करेंगे उससे रतलाम की ही प्रतिष्ठा बढेगी। रा.स्व.संघ के श्री माधव काकानी ने इस अवसर पर बताया कि स्व. श्री भाटी की स्मृतियों को चिरस्थाई रखने तथा उनकी इच्छानुसार विभिन्न क्षेत्रों में सेवाकार्यो को गति देने के उद्देश्य से श्रीमती कैलाशदेवी भंवरलाल भाटी न्यास का गठन किया जा रही है। यह न्यास विभिन्न शैक्षणिक,धार्मिक और पारमार्थिक गतिविधियों से जुडे कार्यो को समय समय पर करेगा। पत्रकार तुषार कोठारी ने कहा कि बचपन से लेकर बडे होने तक जीवन में हर जगह स्व.श्री भाटी की शिक्षाओं का असर है। लम्बा समय उनके संसर्ग में गुजारने के बावजूद उनके बहुआयामी जीवन के कई पहलू अनछुए ही रह गए। उनकी स्मृति में गठित न्यास के द्वारा स्व.श्री भाटी के बहुआयामी जीवन के विविध आयामों की जानकारी भी समाज के सामने आ सकेगी। श्री कोठारी ने इस मौके पर स्व.श्री भाटी की स्मृति को चिरस्थाई बनाने के लिए शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय का नामकरण श्री भाटी के नाम पर रखने का सुझाव दिया जिस पर उपस्थित जनसमुदाय ने ध्वनिमत से अपना समर्थन दिया।

जयपुर(भोजपुरा) के प्रख्यात संत शीतलदास जी महाराज ने स्व.भाटी से जुडे अपने संस्मरणों का वर्णन करते हुए बताया कि स्व.श्री भाटी ने उन्हे बहुत कुछ सिखाया है। आज वे जो कुछ भी है उसमें स्व.श्री भाटी का बडा योगदान है। संत श्री भजनदास महाराज ने भी स्व.श्री भाटी को एक संत निरुपित करते हुए कहा कि भले ही उन्होने साधु सन्यासियों जैसे वस्त्र धारण नहीं किए थे लेकिन उनके सेवा कार्य और समाजसेवा साधु पुरुषों जैसी ही थी।

इस अवसर पर श्री बडा रामद्वारा के महन्त श्री गोपालदास जी महाराज ने उपस्थित साधु सन्तों का अभिनन्दन किया,वहीं रामद्वारा में उपस्थित भक्तजनों और नागरिकों की ओर से अभिभाषक घनश्याम लश्करी और माधवदास काकानी ने शाल व श्रीफल भेंट कर महन्त श्री गोपालदास जी का अभिनन्दन किया। रामद्वारा में आयोजित श्रध्दांजलि सभा में भाजपा नेता मनोहर पोरवाल,रवि जैहरी,निर्मल कटारिया,पुष्पराज रामस्नेही समेत विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

स्व. भाटी का शरीर पंचतत्व में विलीन


रतलाम१५ मार्च (इ खबर टुडे )। शिक्षाविद स्व. भंवरलाल भाटी की अंतिम यात्रा मंगलवार दोपहर 12:30 बजे रामद्वारा से शुरू हुई तथा मार्ग पर उनके शिष्यों तथा शुभचिंतकों ने पुष्पवर्षा कर श्रध्दांजलि अर्पित की। इमरजेंसी के दौरान मीसा बंदी के रूप में साथी रहे महेंद्र नाहर ने नजरबाग में, पैलेस रोड पर उनके शिष्यों ने भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र पाण्डेय ने, डालूमोदी चौराहे, गणेश देवरी तथा चौमुखीपुल पर पार्षदों ने, रामगढ़ में सामाजिक संगठनों ने पुष्पवर्षा कर श्रध्दांजलि अर्पित की। दोपहर डेढ बजे अंतिम यात्रा त्रिवेणी मुक्तिधाम पहुंची जहाँ पुष्पराज राम स्नेही ने उन्हें मुखाग्नि दी।

आडवानी जी ने शोक संवेदना व्यक्त की

भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवानी ने मंगलवार को सुबह दिल्ली से फोन कर श्री भाटी के अनुज महंत गोपालदास महाराज से चर्चा की तथा श्री भाटी के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की। उल्लेखनीय है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक के रूप में कार्य करते हुए श्री आडवाणी कोटा में श्री भाटी के सहयोगी रहे हैं।

सिर्फ संघ ही नहीं वे सबके मार्गदर्शक थे

त्रिवेणी मुक्तिधाम पर आयोजित शोकसभा में शहर के गणमान्य नागरिकों ने श्रध्दांजलि अर्पित करते हुए श्री भाटी के सिर्फ संघ ही नहीं बल्कि सभी का मार्गदर्शक बताया। प्रो. अजहर हाशमी ने कहा कुछ लोग राह दिखाते हैं कुछ राह बनाते हैं परंतु भाटीजी मंजिल तक पहुंचाने वालों में शामिल हैं। वे गंगा की तरह निर्मल, समुद्र की तरह गहरे और हिमालय की तरह ऊंचे विचारों वाले व्यक्तित्व थे। शिक्षाविद मुरलीधर चांदनीवाला ने कहा श्री भाटी, उनके द्वारा दिए गए संस्कार के रूप में हम सभी में जीवित हैं। श्री भाटी की प्रशासनिक क्षमता और सख्त अनुशासनप्रियता बताते हुए डॉ. देवकीनंदन पचौरी ने कहा यमराजजी जब आए होंगे तो उन्होंने भी भाटीजी से पहले अनुमति ली होगी। संघ प्रचारक बालमुकुंद झा ने कहा प्रचारक काल में वे एक तूफानी नेतृत्व के रूप में ख्यात थे। आरएसएस के जिला कार्यवाह दशरथ पाटीदार ने कहा भाटीजी ने देश और समाज के लिए संघर्षपूर्ण जीवन जीना सिखाया है। भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र पाण्डेय ने कहा उनका सोच स्पष्ट था तथा उनके विचारों से हमें जीवनभर प्रेरणा मिली। अधिवक्ता परिषद के प्रकाशराव पंवार ने कहा बोलते वक्त उनके हर शब्द में ज्ञानगंगा और राष्ट्रभाव प्रवाहित होता था। भारतीय ज्योतिष परिषद के बाबूलाल जोशी ने बताया सन 54 में बीमारी के कारण उनका एक फेफड़ा निकाल दिया गया था और इसके बाद भी जीवटता और अपनी इच्छाशक्ति से उन्होंने इतना समय संगठन के लिए दौड़-भाग करते गुजारा। आईएमए के डॉ. के.सी. पाठक ने कहा अपनी अदम्य जिजीविशा तथा इच्छाशक्ति के चलते व्याधि बाधाओं को पार कर वे कई बार बीमारी के बाद भी उठ खड़े हुए।

इन्होंने भी किया संबोधित

शोकसभा में आरएसएस के उौन विभाग व्यवस्था प्रमुख विजय केवलिया, जिला संघचालक राधेश्याम खण्डेलवाल, विहिप के संजीव जैन, संजीव गुप्ता, निगम अध्यक्ष दिनेश पोरवाल, सेवाभारती के शरद फाटक, ग्राम भारती के मानदातार सिंह, विद्याभारती के विरेंद्र वाफगांवकर, मीसाबंदी संघ के महेंद्र नाहर, वनवासी कल्याण परिषद के डॉ. उदय यार्दे, भारत विकास परिषद के प्रवीण सोनी, कांग्रेस नेता खुर्शीद अनवर, बाबू भाई काजी, अनिल झालानी, राकेश झालानी, पाठक मंच के दुर्गा शर्मा, प्राकृतिक चिकित्सा परिषद के अनोखीलाल कटारिया, प्रसाद साहित्य मंडल के मार्तण्डराव पंवार, मजदूर संघ के दिलीप मेहता के अलावा नागर ब्राह्मण समाज, राष्ट्रशक्ति संगठन, आर्ट आफ लिविंग, गुर्जर गौड ब्राह्मण सभा, आटो गैरेज एसोसिएशन, सिखवाल समाज, कसेरा समाज, प्रभु प्रेमी संघ के पदाधिकारियों ने भी श्रध्दांजलि अर्पित की।

वरिष्ठ समाज सेवक श्री भंवर लाल जी भाटी का निधन


रतलाम,14 मार्च (इ खबर टुडे)।इ खबर टुडे के मार्ग दर्शक वरिष्ठ शिक्षक एवं समाज सेवक श्री भंवर लाल जी भाटी का आज शाम लगभग ५.३० बजे उनके निवास रामद्वारा पर निधन हो गया वे ८४ वर्ष के थे .

इ खबर टुडे के मार्ग दर्शक वरिष्ठ शिक्षक एवं समाज सेवक श्री भंवर लाल जी भाटी का आज शाम लगभग ५.३० बजे उनके निवास रामद्वारा पर निधन हो गया वे ८४ वर्ष के थे .

एक युग का अंत

श्रधेय भाटी जी ने कुछ दिनों पूर्व लेखन की अत्याधुनिक तकनीक इन्टरनेट को अपनाते हुए अपना ब्लॉग लिखना शुरू किया था। हम सब की इच्छा थी कि उनकी कविताये आलेख आदि ब्लॉग पर होने से सुरक्षित और सुलभ हो जायेंगे। भाटी सर ने इसे शुरू तो किया लेकिन ब्लॉग पर थोडा सा ही लिखने के बाद वे फिर डायरी में लिखने लगे। तब यह सोचा गया था कि डायरी में लिखने के बाद इस सामग्री को नेट पर डाल दिया जायेगा। पिछले दिनों उन्होंने कई कविताये लिखी.ये कविताये और आलेख आदि नेट पर आते इससे पहले ही वे हम सब को छोड़ कर चले गए। उनके साथ ही एक युग का अंत हो गया। इतिहास,कला,नाटक,संगीत,काव्य,निबंध, वक्तृता ऐसी कोई विधा नहीं थी जिसमे उनका अधिकार नहीं था। १४ मार्च को उनका निधन हुआ और १५ अप्रेल को उनका जन्म दिन था। उनके जाने के एक माह बाद उन्ही के ब्लॉग पर उनकी रचनाओं को उपलब्ध कराने की योजना है ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ ले सके।
भाटी सर के जाने के बाद उनसे सम्बंधित समाचार भी इसी ब्लॉग पर रिकार्ड के लिए अंकित किये जा रहे है ।
तुषार कोठारी