महंत गोपाल दास जी सरल स्वाभाव के है ,वे मेरे भाई है तथा संप्रदाय के साधू है । रामस्नेही संप्रदाय के रतलाम रामद्वारा के महंत है सत्संग के दौरान एक सत्संगी ने पूछ लिया 'महाराज जी साधू और संत में क्या अंतर है '। महाराजजी एक क्षण रुक कर बोले । हाँ ' अंतर है और बहुत गहरा है , यू तो बोल चल की भाषा में साधू और संत में कोई विशेष अंतर नहीं है किन्तु सैधांतिक स्तर पर दोनों में बहुत अंतर है । साधू भगवन का स्मरण करते है
संत वह जिसका भगवन स्मरण करते है .
उपरितौर पर तो अंतर नंही है किन्तु अंतर बड़ा गहरा है .
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